आजमगढ़। एक कहावत है जब दीपक बुझने वाला होता है तो भभकता बहुत तेज है कमोवेश वही स्थिति आजमगढ़ के सांसद दिनेश लाल निरहुआ जी की भी है। चर्चा यह है कि उनका टिकट कटने वाला है इसलिए अपने आप को चर्चा में बनाए रखने के लिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय अखिलेश यादव जी के ऊपर उल जुलूल टिप्पणी कर रहे हैं। दिनेश लाल निरहुआ जी का इतिहास देखेंगे तो पाएंगे कि जब तक अखिलेश यादव जी की सरकार में उनको यश भारती पुरस्कार नहीं मिला था तब तक उनको कोई नोटिस नहीं करता था पुरस्कार मिलने के बाद ही उनका कद बढ़ने लगा। आजमगढ़ से लोकसभा का चुनाव जो उन्होंने जीता है उस पर भी एक कहावत याद आ गई ‘अंधे के हाथ बटेर लगना‘ क्योंकि कुछ ऐसा राजनीतिक समीकरण बन गया था उपचुनाव में कि अंधे की हाथ बटेर लग गई। आज यह स्थिति है की दिनेश लाल निरहुआ हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष की बात तो छोड़ दें समाजवादी पार्टी के एक अदने से सिपाही का मुकाबला नहीं कर सकते। पहले वह टिकट तो लेकर आएं। हमारी शुभकामना है कि उनको टिकट मिले और उनका अहंकार भी चूर हो जायेगा।
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