लखनऊ। मशहूर शायर मुनव्वर राना सोमवार को लखनऊ के ऐशबाग कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक हो गए। परिजनों और करीबियों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। रविवार की रात उनका निधन हो गया था। वह कई दिनों से बीमार चल रहे थे। एसजीपीजीआई में उनका इलाज चल रहा था। उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव उनके आवास पर पहुंचे और परिजनों से मुलाकात की। गीतकार जावेद अख्तर भी उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए पहुंचे और कहा कि हकीकत ये है कि आज शायरी का, उर्दू का और हिंदुस्तान की तहजीब का नुकसान हुआ है। हिंदुस्तान की तहजीब का ये एक अहम हिस्सा था जो गिर गया। एक पीढ़ी जा रही है। एक नस्ल जो धीरे धीरे जा रही है। निदा फाजली, राहत साहब और अब मुन्नवर साहब का जाना, इसकी भरपाई तो नही हो पाएगी। उनके परिवार को हिम्मत मिले पर हकीकत है जो आता है वो जाता है। वो हमेशा शायरी के लिए ही जाने जाएंगे। मां को उन्होंने पहली बार शायरी का हिस्सा बनाया। उनका शेर कहने का अपना रंग था।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि वह एक बड़े शायर थे। उन्होंने लेखन के माध्यम से लोगों को जगाने का काम किया। मैंने खुद देखा कि उनकी मां पर लिखी लाइनों को सुनने के लिए लोग निवेदन करते थे। ऐसे शायर कम आते हैं जो मन में है उसे बिना छिपाए कह जाएं। आजम खां साहब उन्हें लेकर पहली बार आए फिर अक्सर मुलाकात होती रही। सैफई में में उनसे मिला था। अखिलेश ने भावुक होते हुए कहा कि नहीं मालूम कि उनकी कमी कैसे पूरी होगी। बस भगवान उनके परिवार को दुख सहने को शक्ति दे। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक जताया। उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर कहा कि मुनव्वर राना का निधन दुखद है। उर्दू साहित्य और कविता में उनका योगदान सराहनीय है। मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों व शुभचिंतकों के साथ हैं। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।
मुनव्वर राना को किडनी और हृदय रोग से संबंधित समस्याएं थीं। उनकी बेटी सुमैया राना ने बताया कि रात साढ़े 11 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। उनके परिवार में पत्नी, चार बेटियां और एक बेटा है। राना के बेटे तबरेज ने बताया कि बीमारी के कारण वह 14 से 15 दिनों तक अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें पहले लखनऊ के मेदांता और फिर एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने रविवार रात करीब 11 बजे अंतिम सांस ली।
0 Comments