घोसी उपचुनाव- भाजपा में आपसी फूट के बीच मायावती के फरमान से फंस गए दारा!


मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। 2022 में समाजवादी पार्टी से लड़ कर घोसी से निर्वाचित विधायक दारा सिंह चौहान ने गृहमंत्री अमितशाह से मिल कर समाजवादी पार्टी से त्यागपत्र दे दिया। इसी के साथ उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से भी त्यागपत्र दे दिया था। परिणामस्वरूप निर्वाचन आयोग को वहां उपचुनाव कराने का ऐलान करना पड़ा। यूपी भाजपा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आरोप लगा कर पार्टी छोड़ने वाले दारा सिंह चौहान भाजपा में लौटे तो भी वह भाजपा की यूपी इकाई और धाकड़ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बाईपास कर दिल्ली के नेताओं से मिल कर भाजपा में शामिल होने चले गये। जहां इन्हें बताया गया कि आप पार्टी में वापस आइये लेकिन ज्वाइनिंग लखनऊ में ही होगी। भाजपाई सूत्रों के अनुसार बहुत याचना के बाद भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दारा सिंह चौहान के पार्टी में शामिल कराने वाले कार्यक्रम में नहीं आये। 

इसके बाद उत्तर प्रदेश में मऊ जिले के घोसी विधानसभा में उपचुनाव का ऐलान हुआ। लेकिन किसी एक व्यक्ति के अनैतिक तरीके से बार-बार पार्टी बदलने से क्षेत्र की जनता में इतनी नाराजगी बढ़ जायेगी यह धरातल पर जाने के बाद पता चला। क्षेत्र की जनता में सत्ताधारी भाजपा से न होकर प्रत्याशी दारा सिंह चौहान के प्रति इतनी नाराजगी है जितना शायद ही कोई प्रत्याशी अपने राजनैतिक जीवन मे झेला होगा। एक तरफ पार्टी का राष्ट्रीय और प्रादेशिक नेतृत्व घोसी क्षेत्र में चौखट-चौखट चूम कर मतदाताओं को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है वहीं दूसरी तरफ पार्टी के कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधियों भाजपा प्रत्याशी से किनारा कसे हुये हैं।विधानपरिषद सदस्य यशवंत सिंह, उनका बेटा व विधानपरिषद सदस्य रिशु सिंह तथा बिहार के राज्यपाल फागू चौहान का बेटा रामविलास चौहान पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रम के पहले तक सक्रिय नहीं रहने का आरोप लग रहा है। कहा जा रहा है कि फागू चौहान अपने बेटे को योगी मंत्रिमंडल में शामिल कराने की फिराक में हैं, इस लिये वह दारा सिंह चौहान को जीतता नहीं देखना चाहते।

इसके अलावा प्रभावशाली भाजपाई राजभर नेताओं पर भी प्रत्याशी के साथ अपेक्षा के अनुरूप सहयोग न करने का आरोप लग रहा है। एक तरफ सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर चुनाव मैदान में डंटे हैं तो दूसरी तरफ मऊ के जिला प्रभारी अनिल राजभर व घोसी के पूर्व सांसद हरिनारायण राजभर लखनऊ में सम्मेलन कर रहे थे। जब सरकार के दो दर्जन मंत्री घोसी में जूझ रहे हों तब जिले के प्रभारी मंत्री और महत्वपूर्ण राजभर समाज के नेता की खानापूर्ति योगदान बड़ा सवाल खड़ा कर रहा था। समय रहते पिछड़ों और अतिपिछड़ों पर प्रभावशाली पकड़ रखने वाले उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य क्षेत्र में डेरा डाल दिये। सपा नेताओं ने बार -बार यह आरोप लगाया है कि घोसी में प्रशासनिक अमला भाजपा कार्यकर्ता बन कर काम कर रहा है।

इस बीच बहुजन समाज पार्टी ने कहा है कि बसपा के काडर मतदान के दिन या तो घर बैठेंगे और यदि बूथ तक जाएंगे तो नोटा दबाएंगे। बसपा के इस निर्णय से घोसी के सियासी रण में मुकाबला रोचक हो गया है। बता दें कि यहां 90 हजार से ज्यादा अनुसूचित जाति के वोटर हैं जो परिणाम को प्रभावित करने का दम रखते हैं। बसपा ने इस चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है। दोनों ही पार्टियां भाजपा और सपा बसपा मतदाताओं को लुभाने में दिन-रात लगे थे। भाजपा यदि सत्ता का दुरुपयोग करेगी तो बसपा काडर का वोट भाजपा प्रत्याशी को मिल सकता है। मायावती का यह निर्देश सियासी गलियारों को बेचैनी बढ़ा दिया है। मायावती के फार्मूले पर यदि काडर भी अपना लिये तो मतदान का प्रतिशत बढ़ जायेगा। यदि बसपाई मतदान से दूर रहे तो पोलिंग बहुत घट जायेगी। ऐसे में भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान का जीतना बहुत मुश्किल हो जायेगा। यदि सपा प्रत्याशी को विजय मिली तो इंडिया गठबंधन का यूपी से धमाका शुरू हो जायेगा।

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