ये हैं 10 प्रमुख चुनौतियां!
प्रदेश व केंद्र में सत्ताधारी भाजपा अलीगढ़ सीट की वापसी के लिए जबरदस्त तरीके से प्रयासरत थी। इसके पीछे की मुख्य वजह तो यह कि नगर निगम बनने के बाद से लगातार चार बार भाजपा का इस सीट पर कब्जा था। प्रदेश की सत्ता में रहते पिछला चुनाव बसपा ने जीतकर प्रदेश में बड़ा संदेश देने का प्रयास किया था। इस हार को चुनौती के रूप में स्वीकारते हुए भाजपा ने पिछले एक वर्ष से मेयर पद पर वापसी के लिए हर वो संभव प्रयास किए, जिसके जरिये जीत की राह आसान हुई और अबकी बार रिकार्ड मतों से प्रशांत सिंघल मेयर निर्वाचित हुए। साथ में 90 में से भाजपा के 45 पार्षद भी जीते। इस जीत से भाजपा में जबरदस्त उत्साह है।
ये है शपथ का अंतराल
2012:-1 जुलाई को मतदान, 7 जुलाई को परिणाम, 18 जुलाई को शपथ।
2017:-26 नवंबर को मतदान, 1 दिसंबर को परिणाम, 12 दिसंबर को शपथ।
2023:-11 मई को मतदान, 13 मई को परिणाम, 27 मई को शपथ होने जा रही।
ये हैं दस प्रमुख चुनौतियां
- गृह व संपत्ति कर के मुद्दे पर सबसे ज्यादा उम्मीद लगाकर बैठी है जनता
- सीमा विस्तार वाले इलाकों को शहरी सुविधा का आभास कराना चुनौती
- नगर निगम अफसरों की बेलगामी और लेटलतीफी में सुधार बड़ी चुनौती
- आम शहरी को सफाई, पेयजल, स्ट्रीट लाइट के प्रति संतुष्ट करना चुनौती
- कटोरेनुमा कहे जाने वाले शहर को जलभराव की समस्या से स्थायी निजात
- अतिक्रमण और अव्यवस्थित यातायात की समस्या से निजात में सफलता
- शहर में समस्याओं को बढ़ावा दे रहे आवारा जानवरों से निजात दिलाना
- दबाव बनाकर स्मार्ट सिटी के कार्य जल्द पूर्ण कराना, शहर सुंदर बनाना
- समस्याओं के लिए नगर निगम में पब्लिक के चक्कर लगना कैसे बंद हो
- सदन में सबसे मजबूत विपक्षी दल सपा के पार्षदों को संतुष्ट रखना चुनौती
शपथ ग्रहण के भव्य आयोजन को लेकर नगर निगम स्तर से युद्ध स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं। शुक्रवार को दिन भर तैयारियां चलती रहीं। खुद नगर आयुक्त व नवनिर्वाचित मेयर प्रशांत सिंघल ने तैयारियों की कमान संभाल रखी है। नगर निगम में अधिकारियों को जिम्मेदारियां बांट रखी हैं। सभी पात्र लोगों को शुक्रवार को दिन भर निमंत्रण पत्र भी नगर आयुक्त की ओर से भिजवाए गए। सभी के बैठने, चाय-नाश्ता व खाने पीने तक के इंतजाम किए गए हैं। शपथ ग्रहण के बाद जवाहर भवन में कार्यभार दिया जाएगा। इसकी भी तैयारी पूरी कर ली गई है। मेयर के लिए नया गाउन भी उनके साइज से बनवाया गया है। पुलिस प्रशासनिक स्तर से भी इंतजाम किए गए हैं।
यह कहने में बिल्कुल गुरेज नहीं कि पिछले पांच वर्ष चूंकि विपक्षी दल बसपा से मेयर रहे और प्रदेश में भाजपा की सरकार रही। सत्ताधारी मेयर न होने के कारण तंत्र ने मेयर को नजरंदाज कर काम किया। जहां जितनी जरूरत होती थी, बस उतना मेयर का ध्यान रखा जाता था। शांत स्वभाव के मेयर रहे मो.फुरकान ने भी बिना किसी विवाद को जन्म दिए अपना कार्यकाल पूरा किया और जितना बस में हुआ, उतने काम कराए। ऐसे में काफी हद तक नगर निगम में निरंकुशता जैसे भी हालात रहे। इन्हीं वजहों से एक मर्तबा शहर की विधायक मुक्ता संजीव राजा को धरने तक पर बैठना पड़ा। कई मर्तबा नगर निगम की टीम के शहर में झगड़े तक हुए। अग्रसेन जयंती महोत्सव विवाद किसी से छिपा नहीं है। इस तरह की निरंकुशता से निजात पाकर शहर में विकास को पटरी पर लाना सबसे बड़ी चुनौती है।
इस संबंध में नवनिर्वाचित मेयर प्रशांत सिंघल का कहना है कि शहर की जनता ने प्यार देकर मुझे मेयर बनाया है। इसके लिए मैं सभी का आभारी हूं। उस प्यार को जनसहयोग से शहर के विकास में बदलकर दिखाऊंगा। मेरी प्राथमिकताएं तय हैं और सबसे बड़ी चुनौती मेरे लिए जनसहयोग जुटाना है। आज से काम शुरू कर अलीगढ़ को प्रदेश में नंवर-वन स्थान पर लाकर दिखाया जाएगा। एक-एक काम पूरी ईमानदारी से होगा। वही शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा के कुछ निवर्तमान पार्षदों को निमंत्रण पत्र नहीं पहुंचे हैं। इसे लेकर देर शाम तक शिकवा शिकायत होती रही। इस विषय में खुद निवर्तमान पार्षद मुकेश शर्मा ने बताया कि उनके साथ और भी कई पार्षद हैं, जिन्हें निमंत्रण नहीं मिला है। इसे लेकर भाजपा के अधिकांश निवर्तमान पार्षदों में नाराजगी है।
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