देश के विभिन्न थियेटर ग्रुप प्रस्तुत करेंगे नाट्यकला
दूसरे सत्र में चकबंदी, गुलेची, रज्जब अली, धर्मदास की गाय जैसी तमाम कहानियां लिखने वाले साहित्यकार हेमंत कुमार से वार्ता हुई । उन्होंने नए रचनाकारों को लेखन में संवेदनशीलता और मौलिकता बढ़ाने के लिए मनुष्य को पहचानने की सलाह दी । तीसरे सत्र में आजमगढ़ में रंगकर्म का नया इतिहास रच रहे सूत्रधार संस्थान के सचिव अभिषेक पंडित से वार्ता के साथ हुआ। उन्होंने अपने रंगकर्म जीवन का इतिहास को दर्शकों से साझा किया। उन्होंने बताया कि मेरी मां हर चीजों को अच्छे से मैनेज करती थीं,आज मैं जो भी हूं उन्हीं की बदौलत हूं। मेरे जीवन में मेरी मां के बाद मेरी पत्नी ममता पंडित का सबसे बड़ा योगदान रहा है।
उनका मानना है कि आजमगढ़ को जानबूझकर अपराधिक पहचान दी जा रही है, और उन्होने संकल्प लिया है कि आजमगढ़ को कला और संस्कृति का केंद्र बना कर एक नई पहचान देनी है। आज विभिन्न धाराओं के लोगों को साथ बैठकर समाज को आगे बढ़ाने के लिए सोचना होगा। इस कार्यक्रम में तरूण राय,अरुण, शिखा, कंचन ,अरविंद पांडे, रमेश मौर्य, प्रतिभा श्रीवास्तव जैसे तमाम प्रतिष्ठत लोग उपस्थित रहे।
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