17th आजमगढ़ रंग महोत्सव (आरंगम) का प्रारंभ बस कुछ घंटों में...!

देश के विभिन्न थियेटर ग्रुप प्रस्तुत करेंगे नाट्यकला


आजमगढ़।
23 मार्च से 25 मार्च तक चलने वाले तीन दिवसीय आरंगम का शुभारंभ आज सिधारी स्थित शारदा टॉकीज में शाम 5:00 बजे से होगा। जिसमें पूरे देश के थिएटर ग्रुप अपने नाटक प्रस्तुत करेंगे। कार्यक्रम का आरंभ प्रसिद्ध अभिनेता पीयूष मिश्रा द्वारा रचित नाटक "गगन द मामा बाज्यो" की प्रस्तुति गोरखपुर नाट्यमंडली द्वारा की जाएगी। इसके बाद दूसरा नाटक "श्याम रंग" भी आज ही प्रस्तुत होगा। बुधवार को शारदा टॉकीज में आयोजित द्वितीय आजमगढ़ साहित्य महोत्सव में तीन सत्रों का आयोजन किया गया। प्रथम सत्र में बालमा जी का स्टूडियो, मोहपाश, मन की खुलती गिरहें जैसी किताबों से पूरे देश में अपनी पहचान बना चुकी साहित्यकार सोनी पांडेय से साहित्य अनुरागी संस्था अध्यक्ष मनीषा मिश्रा ने उनके साहित्यक सफर पर वार्ता से की। उन्होंने भ्रूण हत्या, महिला शिक्षा, पितृसत्ता, जैसे तमाम विषयों पर अपने विचार रखें। उन्होंने कहा कि पितृसत्ता की सर्वाधिक पोषक स्वयं महिलाएं हैं । जिस दिन महिलाओं ने इसके खिलाफ आवाज बुलंद से इनकार किया शोषण बंद हो जाएगा।

दूसरे सत्र में चकबंदी, गुलेची, रज्जब अली, धर्मदास की गाय जैसी तमाम कहानियां लिखने वाले साहित्यकार हेमंत कुमार से वार्ता हुई । उन्होंने नए रचनाकारों को लेखन में संवेदनशीलता और मौलिकता बढ़ाने के लिए मनुष्य को पहचानने की सलाह दी । तीसरे सत्र में आजमगढ़ में रंगकर्म का नया इतिहास रच रहे सूत्रधार संस्थान के सचिव अभिषेक पंडित से वार्ता के साथ हुआ। उन्होंने अपने रंगकर्म जीवन का इतिहास को दर्शकों से साझा किया। उन्होंने बताया कि मेरी मां हर चीजों को अच्छे से मैनेज करती थीं,आज मैं जो भी हूं उन्हीं की बदौलत हूं। मेरे जीवन में मेरी मां के बाद मेरी पत्नी ममता पंडित का सबसे बड़ा योगदान रहा है।

उनका मानना है कि आजमगढ़ को जानबूझकर अपराधिक पहचान दी जा रही है, और उन्होने संकल्प लिया है कि आजमगढ़ को कला और संस्कृति का केंद्र बना कर एक नई पहचान देनी है। आज विभिन्न धाराओं के लोगों को साथ बैठकर समाज को आगे बढ़ाने के लिए सोचना होगा। इस कार्यक्रम में तरूण राय,अरुण, शिखा, कंचन ,अरविंद पांडे, रमेश मौर्य, प्रतिभा श्रीवास्तव जैसे तमाम प्रतिष्ठत लोग उपस्थित रहे।  

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