4th आजमगढ़ इंटरनेशनल फेस्टिवल: फिल्म जगत के विशेषज्ञों ने साझा की अपनी राय

युवाओं ने सीखी फिल्म निर्माण, लेखन, निर्देशन और संगीत निर्माण की कला...


आजमगढ़।
परिंदा, इस रात की सुबह नहीं, वास्तव, दिल आशना है, जैसी सुविख्यात फिल्मों के स्क्रिप्टराइटर इम्तियाज हुसैन ने नवोदित फिल्म लेखकों को फिल्म लेखन से संबंधित गुर सिखाए । माहुल आजमगढ़ से निकल कर बालीवुड की दुनिया में अपने लेखन का सफ़र तय करने वाले इम्तियाज़ हुसैन आज भी आजमगढ़ को अपने दिल में बसा हुआ बताते हैं। अपने व्यस्त जीवन से समय निकालकर वे हर बार आजमगढ़ फिल्म फेस्टिवल में मौजूद होते हैं।


72 हूरें* फिल्म के निर्माता गुलाब सिंह बताया कि उनके गांव में मान्यता थी कि "हवाई जहाज की छाया पत्थर को सोना बना देती है।" उसी उम्मीद में पत्थर लेकर भागता हुआ मामूली सा लड़का आज कई जहाजों का मालिक बन गया !"जहाज उड़ाने का शौक था तो मैंने पायलट की ट्रेनिंग ली और बालीवुड फिल्मों के सीन में हेलीकॉप्टर और जहाज उड़ाए भी उड़ाए। आगे फिल्म निर्माण में रुचि ने मुझे 72 हूरें फिल्म निर्माण करने में सफलता मिली।"गुलाब सिंह ने प्रख्यात रंगकर्मी और सूत्रधार संस्थान के सचिव अभिषेक पंडित व ममता पंडित की तारीफ करते हुए कहा कि जुनून और समर्पण और सच्चे मन से किसी भी विधा पर काम हो जाए तो आदमी सफल जरूर होता है। उनका कहना था कि आजमगढ़ ऑर्गेनिक है यहां कोई दिखावा नहीं है और इतने कम संसाधन में इस तरह के आयोजन काबिले तारीफ है।


बॉलीवुड के प्रख्यात संगीत निर्देशक उद्धव ओझा की मास्टरक्लास में संगीत के इतिहास का जो सिलसिला शुरू किया, 50 के दशक के संगीत से शुरू हुआ यह सिलसिला यमन राग, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, पंचम दा, बप्पी लहरी जैसे महान संगीतकारों के किस्सों से रूबरू कराता हुआ कब आधुनिक संगीत तक पहुंचा और 2 घंटे कैसे बीत गए पता ना चला। इस कार्यक्रम में देश विदेश से आए हुए तमाम कलाकार और मेहमान उपस्थित रहे जिसमें प्रकाश के रे, प्रख्यात लेखिका शोभा अक्षरा, फिल्म इतिहासकार अरविंद के साथ ही सूत्रधार संस्था के अध्यक्ष डॉ सी के त्यागी, प्रख्यात समाजसेवी नीरज सिंह, विवेक पांडेय गांधीगिरी टीम,रंगकर्मी हरिकेश मौर्य व अखिलेश द्विवेदी, कंचन , शिखा मीडिया प्रभारी अरुण मौर्य और अरविंद पांडेय सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।

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