चालहा गांव में 14 जनवरी को राजस्व विभाग की टीम ने मड़ौली गांव के कृष्ण गोपाल दीक्षित का सरकारी जमीन से आंशिक कब्जा हटाया था। इससे गुस्साए कृष्ण गोपाल पत्नी प्रमिला, बेटी नेहा, बेटों शिवम, अंश व बहू और मवेशियों को लेकर उसी रात अपनी फरियाद लेकर कलक्ट्रेट पहुंच गए थे। वहां डीएम नेहा जैन तो मौके पर नहीं पहुंची थी, लेकिन एडीएम प्रशासन और अकबरपुर तहसीलदार पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे थे। उस वक्त का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें एडीएम प्रशासन शिवम के कपड़े उतरवाते और पुलिस को उसको पकड़ने के आदेश देते दिखाई दे रहे हैं।
कानपुर मंडल की फोरेंसिक टीम सोमवार को मड़ौली ग्राम पंचायत की चालहा गांव पहुंची। टीम ने जिस स्थान पर मां-बेटी की जलकर मौत हुई थी। वहां का मुआयना किया। राख को उलटा-पलटा। साथ ही जनरेटर को भी चेक किया। पीड़ित परिवार और गांव के कुछ लोगों से घटना से जुड़े सवाल जवाब ढूंढने के बाद टीम रुरा थाने चली गई। माना जा रहा है कि दो-तीन दिन बाद स्टेट फोरेंसिक और मंडल की फोरेंसिक टीम घटना का क्राइम सीन दोहराएगी। इसके लिए घटना स्थल से कुछ दूरी पर एक मैदान नुमा स्थान तय किया गया है।
बता दें कि चालहा गांव में मां-बेटी के जिंदा जलने के मामले में घटना की जांच और विवेचना के लिए शासन ने दो अलग-अलग एसआईटी गठित की है। साथ ही स्टेट फोरेंसिक व कानपुर मंडल की फोरेंसिक टीम को संयुक्त रूप से घटनास्थल से साक्ष्य और सबूत जुटाने की जिम्मेदारी दी है, ताकि साफ हो सके कि झोपड़ी में आग कैसे लगी थी। सोमवार को कानपुर मंडल की फोरेंसिक टीम डॉ. प्रवीन श्रीवास्तव की अगुवाई में चालहा गांव पहुंची। टीम ने एसआईटी के सामने घटनास्थल को देखा। झोपड़ी की जली राख को उलट-पलट कर देखा। सूत्रों के मुताबिक राख में खून के कुछ निशान मिले हैं। वहां रखा जनरेटर भी चटका मिला।
माना जा रहा है कि आग से धधक से जनरेटर चटका होगा। टीम ने वहां से कुछ साक्ष्य जुटाए। इसके बाद टीम मड़ौली गांव पहुंची और पंचायत भवन में पीड़ित परिवार के कुछ लोगों व ग्रामीणों से घटना से जुड़े सवाल पूछे।इसके बाद टीम रुरा थाने गई। वहां थानेदार शैलेंद्र मिश्रा व घटना के दिन चालहा गांव गए पुलिसकर्मियों से बात की।
सूत्रों के मुताबिक फरेंसिक टीम ने चालहा गांव और थाने के बीच एक मैदान नुमा जगह भी तय कर दी है। इस स्थान पर वैसा ही सीन क्रिएट किया जाएगा, जैसा दृश्य 13 फरवरी को घटना के वक्त चालहा गांव का था। वैसे ही झोपड़ी बनाई जाएगी। जनरेटर और डमी के रुप में मां-बेटी और बकरियों की व्यवस्था की जाएगी। बुलडोजर, पुलिस व प्रशानिक अफसरों की तरह सब कुछ वहां होगा। इसके बाद जिस तरह से सरकारी जमीन के कब्जा हटाने के दौरान पूरा घटनाक्रम चला था, उसी तरह का दृश्य दोहराया जाएगा। इसके लिए सभी व्यवस्थाएं करने के लिए रुरा थानाध्यक्ष व अन्य संबंधित अफसरों से कहा गया है।
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