रक्तदान शिविरों से जुटाए खून का काला कारोबार-STF का चौंकाने वाला खुलासा


लखनऊ। एसटीएफ और पुलिस को खून के काले कारोबार में कई चौंकाने वाली जानकारियां मिल रही है. इसी कड़ी में पता चला कि तस्करों और ब्लड बैंक के संचालकों ने मिलकर सौ से अधिक रक्तदान शिविरों में जुटाये गये खून का कारोबार कर खूब कमाई भी की है. इन शिविरों को लखनऊ में तो कम लगाया गया लेकिन हरदोई, कानपुर, जयपुर, फतेहपुर सीकरी, उन्नाव समेत कई जिलों में कई बार लगाया. शिविर लगाने के लिये ही कई ट्रस्ट संचालकों को मिलाकर उन्हें 25 फीसदी मुनाफा दिया गया ताकि उनकी आड़ में ये लोग कानूनी रूप से रक्तदान शिविर लगा सके. दिलचस्प यह कि संचालकों को उनकी करतूत की भनक तक नहीं लगी.

ठाकुरगंज में मिडलाइफ ब्लड बैंक के मालिक अम्मार और कृष्णानगर स्थित नारायण ब्लड बैंक के मालिक अजीत दुबे ने तस्करों नौशाद और असद के साथ मिलकर कई जिलों में ब्लड बैग सप्लाई किए. नौशाद और असद जयपुर में लगे रक्तदान शिविरों से जुटाए गये खून को लखनऊ तक पहुंचाते थे. इन खून का रक्तदान शिविरों में कोई लिखापढ़ी नहीं की जाती थी. इस वजह से इनकी कोई चेकिंग भी नहीं होती थी. लखनऊ तक पहुंचाने के लिये तस्कर अच्छी कीमत लेते थे. लखनऊ के कई ब्लड बैंक में यह खून सप्लाई किये गए. अब इनकी पड़ताल हो रही है.

एसटीएफ और ठाकुरगंज पुलिस ने कृष्णानगर स्थित मानव ब्लड बैंक की पड़ताल तेज कर दी है. यहां के कई दस्तावेज कब्जे में लिए गए हैं. इसकी संचालिका के पति डॉ. पकंज त्रिपाठी नारायणी ब्लड बैंक में मेडिकल आफीसर है. डॉ. पकंज भी तस्करों से मिले हुए थे. इस मामले में सात गिरफ्तारियां होने के बाद से वह फरार है. उनकी तलाश में एक टीम कानपुर और हरदोई गई हुई है.

एसटीएफ के डिप्टी एसपी प्रमेश कुमार शुक्ला ने बताया कि अजीत दुबे पिछले साल की सेना की मेडिकल कोर टीम में नायब सूबेदार पद से रिटायर हुआ था. वह अपने रक्तदान शिविर में आने वालों से अपना परिचय रिटायर फौजी के रूप में देता है. इससे किसी को उस पर शक नहीं होता था. एसटीएफ को पता चला कि दोनों ब्लड बैंक से लखनऊ में बाहरी जिलों में 100 से ज्यादा रक्तदान शिविर लगाए. इन सबमें रक्तदान के जरिये खून का आधा हिस्सा अवैध तरीके से सप्लाई किया गया.

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