पंकज सिंह
आजमगढ़। महराजगंज पुलिस ने ग्राम आराजी अमानी में हुई अंतिमा हत्याकांड का खुलासा कर दिया। पुलिस के अनुसार, जमीन विवाद में दूसरे को फंसाने के लिए पति व देवर ने मिलकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने पति संतविजय यादव व देवर कन्हैया यादव को गिरफ्तार कर लिया है तथा उनके निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त आलाकत्ल एक तंमचा व 3 जिंदा कारतूस बरामद कर लिया है।
पूछताछ में आरोपी संतविजय यादव ने बताया कि हमारे चाचा जयराम ने अपने हिस्से की जमीन चन्द्रशेखर यादव की सरहज आशा देवी पत्नी सुरेन्द्र यादव निवासी बगई मु0 बनहरा चांदपट्टी थाना रौनापार जनपद आजमगढ़ को व अपने ही गांव के जरीना पत्नी मुनीर को बेच दिये थे। आशा देवी की जमीन पर चन्द्रशेखर यादव ने कब्जा करा दिया था उस कब्जे के दौरान भी मैने काफी विरोध किया था इसके बाद जरीना पत्नी मुनीर द्वारा भी कब्जे का प्रयास किया जाने लगा था मुझे लगा कि ये लोग भी कब्जा कर लेगें। 22 मई को जरीना के प्रा0पत्र पर राजस्व विभाग के लोग व पुलिस विभाग को लेकर पैमाईश करने हेतु पहुँच गये। पैमाईश पूरी न होने पाये इस आशय से मैंने तहसीलदार यादव आदि से मारपीट कर पैमाईश रोकवाते हुए थाने में बनाम ताहा पुत्र मुनीश, आदि 06 नफर के विरुद्ध मुकदमा लिखवाया।
उक्त मुकदमा लिखवाने के उपरान्त भी वो लोग पुनः पैमाईश को लेकर प्रयासरत थे। फिर मैने उसी रात अपने पिता के ऊपर जान से मारने की नियत से फायर करने व पिता के घायल होने के सम्बन्ध में 112 पर रात्रि करीब 1.30 बजे सूचना दिया था तथा मैने थाना महराजगंज पर झूठा मुकदमा तहसीलदार यादव आदि 04 नफऱ निवासीगण आराजी आमानी विरुद्ध लिखवाया था जिसमें मेरे पिता के मेडिकल रिपोर्ट में डॉक्टरों द्वारा गोली लगने का जिक्र नही किया गया। मैंने सोचा कि छोटे-मोटे मुकदमे से काम नही बनेगा हम अपने भाई कन्हैया से मिलकर एक रणनीति बनाकर रात में अपनी पत्नी अंतिमा को देशी कट्टे से गोली मार दिया तथा उक्त मुकदमे में उन लोगों को मुल्जिम बनाया जिनसे मेरे विवाद चल रहा था या मैं रंजिश रखता था अंतिमा से मैने शादी नही किया था उसको मै भगाकर ले आया था तथा उसे अपनी पत्नी की तरह रखा था।
जब मैं अन्तिमा को लेकर अपने गाँव आया तो गाँव के लोगो के बीच इस बात की जानकारी हो गयी कि सन्तविजय यादव जिस लड़की को लेकर आया है वह अनुसूचित जाति की है और चट्टी-चौराहे पर चर्चा आम हो गया था जिस बात की जानकारी होने पर मुझे बहुत ग्लानि होती थी इसी बीच अंतिमा और मुझसे आपस में झगड़ा भी होता रहता था उसी समय से मैने ठान लिया था कि मै अपने पत्नी अंतिमा को रास्ते से हटाना चाहता था दूसरा कोई उपाय न देखकर मैने सोचा कि क्यो ना एक तीर से दो शिकार करते हुए मैने अपने भाई कन्हैया से राय कर सहमति प्राप्त कर योजना बनाई।
रात में सोते समय अपने पत्नी अंतिमा को अपने देशी तमन्चे से गोली मारकर अपने भाई कन्हैया की मदद से नाजायाज असलहे व कारतूस को मड़ई में छिपाकर शोर मचाया कि मेरी पत्नी को मेरे दुश्मन तहसीलदार यादव पुत्र रामचन्द्र यादव, चन्द्रशेखर यादव पुत्र तिर्थराज यादव, उपेन्द्र यादव पुत्र रमायन यादव, मोहम्मद ताहा पुत्र मनीर, शीला पत्नी रमाशंकर निवासीगण अराजी अमानी ने गोली मार दिया जिस सम्बन्ध थाना महराजगंज पर मुकदमा पंजीकृत करवाया था। सोचा की मै अपने इस रणनीति में सफल हो जाऊंगा मेरी पत्नी की हत्या के जुर्म में उपरोक्त लोग जेल चले जायेगें तथा मेरे चाचा जयराम यादव की जमीन जो मेरे कब्जे में है वो भी बच जायेगी। लेकिन ऐसा नही हो पाया।

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