लखनऊ। प्रदेश के 18 विधान सभा चुनावी महासंग्राम में कई बाहुबलियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हैं। प्रमुख दलों ने बेरुखी दिखाई तो कई जगह नए और छोटे दलों से वे मैदान में उतर गए हैं। पूर्वांचल की कई सीटों पर इनकी अग्निपरीक्षा है। कहीं खुद मैदान में है तो कहीं बेटों पर दांव लगाया है।
मऊ में मुख्तार ने बेटे अब्बास अंसारी पर लगाया दांव
मऊ सदर सीट पर 1996 से लगातार पांच बार विधायक मुख्तार अंसारी इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। वह बांदा जेल में हैं। लंबे समय से सियासी धमक रखने वाले अंसारी परिवार की नई पीढ़ी से दो उम्मीदवार मैदान में हैं। उनके बेटे अब्बास अंसारी सपा के साथ गठबंधन में शामिल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर मैदान में हैं। मुस्लिम बहुल इस सीट पर मुस्लिमों के साथ अनुसूचित जाति का गठजोड़ मुख्तार अंसारी के सिर पर जीत का सेहरा सजाती रही है। यहां बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर और भाजपा के अशोक कुमार सिंह मैदान में हैं। इसी तरह मोहम्मदाबाद सीट से सपा के टिकट पर अब्बास के चचेरे भाई मन्नू अंसारी मैदान में हैं।
आजमगढ़ में पिता के लिए बेटे ने छोड़ी दावेदारी
आजमगढ़ और जौनपुर के बाहुबलियों में पूर्व सांसद उमाकांत यादव और पूर्व सांसद रमाकांत यादव का नाम सुर्खियों में रहता है। इस बार पूर्व सांसद उमाकांत यादव चुनावी मैदान से दूर हैं। लेकिन आजमगढ़ के पूर्व सांसद रमाकांत यादव फूलपुर पवई से सपा के टिकट पर मैदान में हैं। इसी सीट से उनके बेटे अरुणकांत यादव भाजपा के विधायक हैं। सपा ने पिता रमाकांत यादव को विधानसभा का टिकट दे दिया तो बेटे ने चुनाव मैदान छोड़ दिया। यादव और मुस्लिम बहुल इस सीट पर भाजपा ने रामसूरत राजभर और बसपा ने शकील अहमद को मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस ने मो. शाहिद को टिकट दिया है।
जौनपुर में धनंजय सिंह को मिल रही चुनौती
जौनपुर जिले की रारी विधानसभा सीट से सियासी सफर शुरू करने वाले धनंजय सिंह दो बार विधायक और एक बार सांसद रहे। इन पर कई मुकदमे हैं। धनंजय की पत्नी श्रीकला रेड्डी जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। नए परिसीमन में बनी मल्हनी विधानसभा सीट यादव बहुल है। क्षत्रिय, ब्राह्मण के साथ निषाद निर्णायक भूमिका में होते हैं। वर्ष 2017 में धनंजय सिंह निषाद पार्टी से उतरे, लेकिन सपा के पारसनाथ यादव से पराजित हुए। पारसनाथ की मौत के बाद वर्ष 2020 के उपचुनाव में निर्दल मैदान में उतरे, लेकिन पारस के बेटे लकी यादव से पराजित हो गए। इस बार सपा ने पुनः विधायक लकी यादव को मैदान में उतारा है, तो धनंजय जनता दल (यू) के टिकट पर मैदान में हैं। यहां भाजपा ने पूर्व सांसद केपी सिंह और बसपा ने शैलेंद्र यादव पर दांव लगाया है।
हाते की हनक बरकरार रखने की कोशिश
पूर्वांचल के बाहुबलियों की बात चलती है कि वयोवृद्ध हरिशंकर तिवारी के बिना पूरी नहीं होती है। 80 के दशक में दबंग चेहरे के रूप में सामने आए हरिशंकर तिवारी 22 साल विधायक रहे। कई बार मंत्री भी रहे। वर्ष 2007 और 2012 का चुनाव हारने के बाद खुद सियासत से दूर हैं, लेकिन उनके हाते की हनक बेटे विनय शंकर तिवारी बनाए हुए हैं। 2017 में बसपा से विधायक बने विनय शंकर अब सपा के टिकट पर चिल्लूपार सीट से मैदान में हैं। यहां भाजपा ने राजेश त्रिपाठी और बसपा ने राजेंद्र सिंह उर्फ पहलवान सिंह को मैदान में उतारा है। इस सीट पर करीब 37 साल से ब्राह्मणों का कब्जा है। यहां ब्राह्मण के बाद दलित और निषाद निर्णायक भूमिका में हैं।
अयोध्या में दो बाहुबलियों की सीधी जंग
अयोध्या में विधानसभा चुनाव के दौरान दो बाहुबलियों में सीधी जंग है। संवेदनशील गोसाईंगंज विधानसभा सीट पर सपा से पूर्व विधायक अभय सिंह और भाजपा से पूर्व विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी की पत्नी आरती तिवारी मैदान में हैं। फर्जी अंकपत्र मामले में सजा सुनाए जाने के बाद खब्बू तिवारी जेल में हैं। इन दोनों गुटों के बीच फायरिंग भी हो चुकी है। ऐसे में लोगों की नजर इस सीट पर लगी हुई हैं।
कुंडा में राजा भैया को घेरने की तैयारी
बाहुबली रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजभैया 1993 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर कुंडा से विधानसभा में पहुंचे। तबसे वे लगातार इस सीट पर जीत दर्ज करते रहे हैं। वे कल्याण सिंह व मुलायम सिंह की सरकार में मंत्री रहे। अखिलेश यादव की सरकार में भी वे कैबिनेट मंत्री रहे। हालांकि, अब सपा से उनकी राहें जुदा हैं। वे जनता दल-लोकतांत्रिक का गठन कर चुके हैं। पहली बार रघुराज प्रताप सिंह निर्दलीय के बजाय अपने दल से मैदान में हैं। राजा भैया की घेरेबंदी के लिए सपा ने उनके ही शागिर्द गुलशन यादव को मैदान में उतारा है। भाजपा ने सिंधुजा मिश्रा और बसपा ने मो. फहीम पर दांव लगाया है।
भदोही में जेल से ही विजय मिश्रा की दावेदारी
भदोही के बाहुबली चेहरों में शुमार ज्ञानपुर के विधायक विजय मिश्रा को इस बार निषाद पार्टी ने टिकट नहीं दिया। वह प्रगतिशील मानव समाज पार्टी से मैदान में हैं। निषाद पार्टी ने विपुल दुबे, सपा ने रामकिशोर बिंद एवं बसपा ने उपेंद्र कुमार सिंह को मैदान में उतारा है। विजय मिश्रा जेल से ही चुनाव लड़ रहे हैं।
बृजेश सिंह ने भतीजे पर लगाया दांव
पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी के धुर विरोधी बृजेश सिंह जेल में हैं। वह एमएलसी हैं। वह खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन उनके भतीजे सुशील सिंह चंदौली जिले की सैयदराजा सीट से मैदान में हैं। सुशील पहली बार चंदौली के धानापुर से विधायक बने थे। इसके बाद सैयदराजा से भाजपा के विधायक हैं। अब चौथी बार मैदान में हैं। सैयदराजा सीट पर बसपा ने अमित कुमार यादव और सपा ने मनोज कुमार को मैदान में उतारा है।
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