शरद पूर्णिमा पर लगेगा खंडग्रास चंद्रग्रहण...बरतनी होगी यह सावधानी!



गोरखपुर। साल का अंतिम चंद्र ग्रहण 28 अक्तूबर को लगेगा। यह ग्रहण संपूर्ण भारत में खंडग्रास के रूप में दिखाई देगा। 28 अक्तूबर की मध्यरात्रि एक बजकर पांच मिनट से चंद्रग्रहण की प्रारंभ होगा। ग्रहण का मध्यकाल एक बजकर 44 मिनट पर होगा और समापन दो बजकर 24 पर होगा। पूर्ण चंद्रग्रहण एक घंटा 19 मिनट का होगा। वहीं ग्रहण का सूतक ग्रहण के नौ घंटा पूर्व यानी शाम चार बजकर पांच मिनट से प्रारंभ हो जाएगा। सूतक लगने के साथ ही सभी मंदिरों के द्वार बंद हो जाएंगे। इस दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य भी नहीं किए जा सकेंगे। वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला के वैज्ञानिक अधिकारी महादेव पांडेय ने बताया कि जब पृथ्वी सूर्य व चंद्रमा के बीच आ जाती है और चंद्रमा पृथ्वी की छाया से होकर गुजरता है तो इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है। पुरोहितों और ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि ग्रहण एक खगोलीय घटना है, लेकिन इसका वैज्ञानिक के साथ ही धार्मिक महत्व भी माना जाता है। इसलिए ग्रहण के दौरान कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना आवश्यक होता है।

ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, ग्रहण शब्द ही नकारात्मक है। ग्रहण का प्रभाव मानव जीवन पर अवश्य पड़ता है। ऐसे में ग्रहण के दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य करने से बचें। भोजन न बनाएं। धारदार वस्तुओं का प्रयोग न करें। भगवान की प्रतिमाओं को हाथ न लगाएं। ग्रहण काल में सोना वर्जित माना जाता है। बालों में कंघी न करें। ग्रहण के समय दातुन न करें। ज्योतिषाचार्य बृजेश पांडेय के अनुसार, ग्रहण के समय बिना भगवान को छुए मन में अपने ईष्ट देव की आराधना करें। ग्रहण लगने से पहले खाने पीने की वस्तुओं में तुलसी के पत्ते डालकर रख दें। ग्रहण की समाप्ति के बाद घर की सफाई कर खुद भी स्नान कर स्वच्छ हो जाएं। स्नान के बाद आटा, चावल आदि खाद्य सामग्री जरूरतमंदों को दान करें।

पंडित शरद चंद्र मिश्रा के अनुसार, ग्रहण लगने से लेकर समाप्ति तक गर्भवती महिलाओं को किसी भी प्रकार से काटना, सिलना या पिरोना जैसे कार्य जिसमें सुई या धारदार चीजों का प्रयोग हो नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि इससे गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुंच सकता है। बताया कि धार्मिक मान्यताएं कहती हैं कि ग्रहण काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को सोना नहीं चाहिए। इस समय बिना छुए ईश्वर को स्मरण करना चाहिए। साल का पहला और अंतिम खंडग्रास चंद्र ग्रहण इस वर्ष शरद पूर्णिमा के दिन लग रहा है। ऐसे में इस बार शरद पूर्णिमा पर लोग खुुले आसमान के नीचे खीर नहीं रख सकेंगे। पंडित जोखन पांडेय शास्त्री के अनुसार, ग्रहण के दौरान नकारात्मक उर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। ऐसे ग्रहण के दौरान खाने-पीने चीजें भी अशुद्ध हो जाती हैं। इसलिए लोग शरद पूर्णिमा के दिन खुले आसमान में खीर रख उसका सेवन न करें।

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